Wednesday, November 28, 2012

अति सुंदर लावण्यमयी मनोरम

कृती तुम नव कृती मनोहर ,

मुक्तक एक मनोहर कोमल कृती
अति सुंदर लावण्यमयी मनोरम
,अल्हड अनुपम अति सुंदर .

क्यो शब्दो का मै सेतु बनाऊ,
 क्यो करू इंतजार तुम्हारा मै
क्योकर शब्दो का क्न्ठाहर बनाकर,
 करू ईश्तक्बाल  तुम्हारा मै
क्यो तुम्हारी जय पुकारू
क्यो वरण करू तुम्हारा मै
कृती तुम सदियो से मेरी हो
मेरी अपनी हो तुम अनुपम कृती
मेरी अपनी समकालीन कृती
मेरे अपने दिल की पुकार
मेरे अपने दिल के उद्गारो का
दिव्य अलौकिक शब्दाहार

No comments:

Post a Comment