Sunday, November 11, 2012

कलयुग की मादुशाला मे ,जरुरत नही है प्याले की -2

kalyug me jay hoti hai hala ki 

,may ke pyalo ki

aur chanchal baarbaalao ki ,

aur tarah tarh ki haalao ki

har gali har mod pe yaro, 

avashy hi milegi ek madhushala,

kar me saagar may liye khadi hogi.

chanchal hsin navayuvati surabala.

charo aur bolbala hai hala ka.

atisundar madhushala ka

hasin nmakin baarbala ka

aur lab se tapakati hala ka ,

 कलयुग की मादुशाला मे ,जरुरत नही है प्याले की---1

कलयुग की मादुशाला मे ,जरुरत नही है प्याले की 
यहा सुंदर मनोहर बारबालये ,अपने लब से पिलाती है हाला
मै कृतक मनोहर ,पथिक हू ,मै एक अंजान डगर का
मै जान गया हु क्यो लोग धुंढते है राह सदा मधुशाला की .
मधुर हाला के दो पैग यारो ,सारा गम हर लेते है
अपने आगोश मे लेकर ,मीठी नींद सुला देते है
पहले जमाने मे हर पांच कोस पर होती थी मधुशाला
इस कलयुग मे यारो देखो ,हर घर मे हाला का है डेरा
मधुशाला की शोभा बाढती सुंदर सुंदर बारबालये
कर मै सागर मय लेकर , प्याला पीलाती बारबाळाये

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