कान्हा ने गोवर्धन पर्वत को जब अपनी छ्न्ग्ल पे उठाया ,सारे ब्राजवासियो को इंद्र के प्रकोप से बचाया ,इंद्र कि पूजा को बंद कराके ,गाय के गोबर से गोबर्धन बनाके गऊ माता का मान बढाया ,ऐसे ही अपने भक्तो की लाज बचाना ,जैसे तुने द्रोपदी का चीर बढाया ,सरे आम मुझे भी रुसवा होणे से बचाना ,जैसे तुने मीरा के विष को अम्रित बनाया ,वैसे ही मेरे दुश्मन को दोस्त बनाना ,जैसे तुने नरासिहा का भात सजाया ,वैसे वक्त पे आके मेरी लाज बचना , |
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