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आज पियेंगे सुरबाला छलकता जाम अधरों से ,तेरे !
तेरे होठ जो छुले साकिया तो मी को भी नशा हो जाये !!
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ये कोमल कर तेरे सुरबाला और नाजुक सी तेरी कलाई !
सागर मय के बोझ से ,मुड ना जाये ये तेरी नाजुक कलाई !1
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मै नित्य ही आता हूँ मधुशाला अपने पागल दिल को बहलाने !
तेरा इझहारे मोहब्बत ही बहुत है जिंदगी को जन्नत बनाने के लिए !1
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जाम को अपने अधरों से लगाकर और भी नशीला कर दो जानम !
कमल सी नाजुक कली से होठ नशीले , छू ले तो मय को भी नशा हो जाये !1
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नशा बोतल में कैद है ,शराब में नहीं मेरी जान 1
जो नशा शबाब में है वो शराब में कहाँ !!
शराब देती है नशा कुछ देर के लिए !
शबाब का नशा होता है ताउम्र के लिये !!
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