Wednesday, December 12, 2012

641

आज पियेंगे सुरबाला छलकता जाम अधरों से ,तेरे !

तेरे होठ जो छुले साकिया तो मी को भी नशा हो जाये !!

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ये  कोमल कर तेरे सुरबाला और नाजुक सी तेरी कलाई ! 

सागर मय के बोझ से ,मुड ना जाये ये तेरी नाजुक कलाई !1

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मै नित्य ही आता हूँ मधुशाला अपने पागल दिल को बहलाने !

तेरा इझहारे मोहब्बत ही बहुत है जिंदगी को जन्नत बनाने के लिए !1

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जाम को अपने अधरों से लगाकर और भी नशीला कर दो जानम !

कमल सी नाजुक कली से होठ नशीले , छू ले तो मय को भी नशा हो जाये !1

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नशा बोतल में कैद है ,शराब में नहीं मेरी जान 1

जो नशा शबाब में है वो शराब में कहाँ !!

शराब देती है नशा कुछ देर के लिए   !

शबाब का नशा होता है ताउम्र के लिये !!

 

 


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