623
मधुशाला
में आज ख़ुशी का आलम है ,हो रही अमृत बरखा चहुओर
है !
घनघोर
घटा छाई है , आज मधुशाला
में मिलन ऋतू आई है !!
624
मधुशाला में बाह पसारे ,स्वागतातुर है बार बालाये आज रे !
साँसे उनकी ठहरी
हुई है ,दिल में पथिक
आने की है आस रे !!
625
आज पथिक के आने पर पर ही ,मेरी बुझेगी
प्यास रे !
आज बरसेगी
मेघो से हाला और भड़केगी प्यास रे !!
626
मैंने दिल से चाहा मधु को ,बड़े प्यार से अंग लगाया !
प्यार से भरकर दामन उसका ,मधु अपना रहबर बनाया !!
627
जिस दिन से आई है मयखाने सुरबाला ,तक़दीर बदल गई है मयखाने की !
अब तो रंगत चढ़ आई है फिजा में ,क्या बात कहू मै सुरबाला की
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